निर्दोष निरपराध की हत्या
दोस्तों,
जब कभी निर्दोष , निरपराध और निहायत ही सामान्य व्यक्तियों
को कोई छिपा हुआ बम धमाके से उड़ा देता है , जब किस बस या
रेल डब्बे में हुआ विस्फोट निरीह यात्रियों को मौत के मुहं में धकेल
देता है और जब कोई औचक गोलियों के बौछार नन्हें - नन्हे दूध मुंहे
बच्चों और कमर झुकी औरतो तक की चीत्कार भरी मौत पर विचलित
नही होता तो एकबारगी मनुष्य जाती की सारी उपलब्धियां उसके
ईजाद किये सारे धर्म दर्शन , उसका समूचा ज्ञान बिज्ञान उसकी समूची
संस्कृति , समूची मानवीय चेतना कटघरे में दिखाई देने लगती है ।वह
समूची मानवीय सभ्यता जिस पर खड़े होकर मनुष्य अपने सर्वश्रेष्ठ होने
का दावा करता है निहायत ही खोखली , भौंडी और अश्लील दिखाई देने
लगती है ।
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