पहने फूलो का माला
पहने फूलो की माला
पहने फूलो का माला ,
बनता जन का रखवाला ,
निर्धन का छीने निवाला ,
करता नित दिन घोटाला ,
बोले गांधी का भाषा ,
सब बढ़े यही अभिलाषा ,
यह कैसा खेल तमाशा ,
जन में तो घोर निराशा ,
निर्धन निचे है जाता ,
दो जून नही खा पाता ,
बस यही उन्हें है भाता ,
चुने देख भाग्य विधाता ,
निचे धरती ऊपर नभ् ,
पंछी गण करते कलरव ,
करते धोखा ये मिल सब ,
आगया वक्त जागो सब ।।
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