अब शौर्य जगाना ही होगा
जन - जन की रक्त शिराओं मे ,
अब शौर्य जगाना ही होगा ।
जन - जन की रक्त शिराओं में ,
अब शौर्य जगाना ही होगा ,
जैसे भी हो अब भारत को बलवान बनाना ही होगा ,
भारत की बीती सदियो में ,
संघर्षो का इतिहास रहा ,
जय लक्ष्मी की अर्चना हेतू ,
होता जग में जय घोष रहा ,
इस मोहन मिटटी में उगते ,
बंशी - ध्वनि के संग शंखनाद ,
इतिहास पुराने पृष्ट खोले ,
करता युग-युग तक इसे याद ,
शक -हूंण-कुशन- यौवन आये,
गोरी गजनी कासिम आये ,
ले विश्व विजय का स्वप्न ,
सिकन्दर - सेल्युकष भी आये,
कुछ असिधारो से दले गये ,
कुछ मिटटी में मले गये ,
चँगेजो की मनचाही देखी ,
हमने नादिरशाही देखि ,
औरंगजेब की कटटरपन देखी ,
अकबर की चतुराई देखी ,
हम मिठे न अत्याचारो से ,
आंधी के हाहाकारो से ,
भारत सोने सा निखर गया ,
अविचारो के अंगारो से ,
बलिदान अनेको देकर ,
फिर यह देश जगाना ही होगा ,
जैसे भी हो भरत को बलवान बनाना ही होगा ।।
हल्दीघाटी का रण देखा ,
राणा का भीषण प्रण देखा ,
स्वतन्त्र भाव से नर देखे ,
माँ बहनो के जौहर देखे ,
संगा के अस्सी घाव देखे ,
फिर भी रण बिच निडर देखे ,
इस धरती पर मिटने का ,
वह भाव जगाना ही होगा ,
जैसे भी भारत को ,
बलवान बनाना ही होगा ।।
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