संस्कार और संस्कृति दोनों की रक्षा में आगे आना होगा
हमें अपने संस्कार और संस्कृति दोनों की रक्षा में आगे आना होगा । भारत में बहुत कुछ है जो विश्व में कही नही है। हमारी संस्कृति की यह विशेषता है की वह अजर अमर है । किन्तु 68 वर्षो में हम जात-पात , सम्प्रदाय और ऊंच-नीच में बटते चले गये और बन्धुत्व को भूल गये । चिड़ियों और चींटियों की चिंता करने वाला हमारा समाज हिंसक बनता जा रहा है ।नफरत की फसल लगाने की होड़ लग गयी है ।अग्नि से यज्ञ करने के बजाए हम लोग आग लगाने में जुट गए है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें