भारत में जल की समस्या का आसान हल
भारत में जल की समस्या का आसान हल
जल ही जीवन है , इसकी कमी पर बहस छिड़ा हुआ है कि कैसे जल की संरक्षण किया जाय ।
आज पुरे भारत में पानी की कमी पर बहुत ही हो हल्ला हो रहा है ।पानी की वचत के लिए बहुत सारे अनुभवी लोग न्यूज चैनलों एवं न्यूज पेपरों में एक से एक सलाह दे रहे है ।
पर बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि आज़ादी के लगभग 70 सालो के बाद भी हर साल भारत में बाढ़ से लाखो एकड़ फसल नष्ट हो जाते है , सैकड़ो लोग बाढ़ की पानी में डूब कर मर जाते है , कई गाँव तबाह हो जाता है । सरकार द्वारा प्रकृति आपदा घोषित किया जाता है ।नेताओं और अफसरों द्वारा बहुत ही भावुक भाषण दीये जाते है ।सरकार द्वारा प्राकृति आपदा के नाम पर बेहिसाब राहत राशि भेजी जाती है ।जिसका कोई हिसाब नही होता ।इस राशि को लूटने में नेताओं और अफसरों में होड़ मच जाती है ।इस तरह बाढ़ जनता के लिए अभिशाप तो नेताओं और अफसरों के लिए बरदान साबित होती है ।
फिर कुछ ही महीनो बाद भयंकर सुखा पड़ता है । लाखो एकड़ फसल सुख जाते है ।पीने के पानी के अभाव में सैकड़ो लोग हजारो मवेशीया मर जाते है । फिर सरकार द्वार उस इलाके को सूखाग्रस्त घोषित किया जाता है ।फिर सरकार द्वारा इस आपदा से निपटने के लिए राहत राशि की आवंटन होती है ।और फिर कुछ राशि को छोड़कर बाकी पैसे का बन्दरवाट ये नेता और अफसर आपस में कर लेते है ।
हमे तो लगता है की ये लोग इसी दिन का इन्तजार करते है कि भारत में कब बाढ़ आये एवं कब सुखा पड़े ।जैसे ही प्रकृति आपदा आता है इनके बयारे - न्यारे आ जाते है ।
इस समस्या का एक ही हल है कि भारत के नदियों को नहरो द्वारा एक दूसरे से जोड दिया जाय तो न तो बाढ़ आएगी और न ही भारत के किसी भी क्षेत्र में सुखा पड़ेगा । पुरे भारत में पर्याप्त सिचाई की व्यवस्था हो जायेगी । और कुछ हद तक इन नहरो द्वारा पनबिजली से बिजली पैदा कर बिजली की समस्या से भी निजात पाया जा सकता है ।
पर बड़े ही दुर्भाग्य की बात है जो पहले से नहरे थे उनमे से अधिकांश नहरे देखभाल के अभाव में ध्वस्त होते जा रहे है ।
पर ये नेतागण भारत के प्रगति के बारे में सीन ठोक कर मेट्रो , चाँद , मंगल यान, परमाणु , डिजिटल इण्डिया आदि की बाते करते है ।पर ख़ाक प्रगति कर लिए की आजादी के 70 सालो के बाद भी भारत की आधी आबादी बिजली की मुंह तक नही देखा है ।आज भी 70% किसान मॉनसून पर निर्भर है ।
हर साल बाढ़ आती है और हर साल सुखा पड़ता है अगर बाढ़ कि पानी को स्टोर कर लिया जाय तो सुखा से आसानी से निपट लिया जाएगा ।पर पता नही कब इन्हें सदबुद्दि आयेगी ।
जल ही जीवन है , इसकी कमी पर बहस छिड़ा हुआ है कि कैसे जल की संरक्षण किया जाय ।
आज पुरे भारत में पानी की कमी पर बहुत ही हो हल्ला हो रहा है ।पानी की वचत के लिए बहुत सारे अनुभवी लोग न्यूज चैनलों एवं न्यूज पेपरों में एक से एक सलाह दे रहे है ।
पर बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि आज़ादी के लगभग 70 सालो के बाद भी हर साल भारत में बाढ़ से लाखो एकड़ फसल नष्ट हो जाते है , सैकड़ो लोग बाढ़ की पानी में डूब कर मर जाते है , कई गाँव तबाह हो जाता है । सरकार द्वारा प्रकृति आपदा घोषित किया जाता है ।नेताओं और अफसरों द्वारा बहुत ही भावुक भाषण दीये जाते है ।सरकार द्वारा प्राकृति आपदा के नाम पर बेहिसाब राहत राशि भेजी जाती है ।जिसका कोई हिसाब नही होता ।इस राशि को लूटने में नेताओं और अफसरों में होड़ मच जाती है ।इस तरह बाढ़ जनता के लिए अभिशाप तो नेताओं और अफसरों के लिए बरदान साबित होती है ।
फिर कुछ ही महीनो बाद भयंकर सुखा पड़ता है । लाखो एकड़ फसल सुख जाते है ।पीने के पानी के अभाव में सैकड़ो लोग हजारो मवेशीया मर जाते है । फिर सरकार द्वार उस इलाके को सूखाग्रस्त घोषित किया जाता है ।फिर सरकार द्वारा इस आपदा से निपटने के लिए राहत राशि की आवंटन होती है ।और फिर कुछ राशि को छोड़कर बाकी पैसे का बन्दरवाट ये नेता और अफसर आपस में कर लेते है ।
हमे तो लगता है की ये लोग इसी दिन का इन्तजार करते है कि भारत में कब बाढ़ आये एवं कब सुखा पड़े ।जैसे ही प्रकृति आपदा आता है इनके बयारे - न्यारे आ जाते है ।
इस समस्या का एक ही हल है कि भारत के नदियों को नहरो द्वारा एक दूसरे से जोड दिया जाय तो न तो बाढ़ आएगी और न ही भारत के किसी भी क्षेत्र में सुखा पड़ेगा । पुरे भारत में पर्याप्त सिचाई की व्यवस्था हो जायेगी । और कुछ हद तक इन नहरो द्वारा पनबिजली से बिजली पैदा कर बिजली की समस्या से भी निजात पाया जा सकता है ।
पर बड़े ही दुर्भाग्य की बात है जो पहले से नहरे थे उनमे से अधिकांश नहरे देखभाल के अभाव में ध्वस्त होते जा रहे है ।
पर ये नेतागण भारत के प्रगति के बारे में सीन ठोक कर मेट्रो , चाँद , मंगल यान, परमाणु , डिजिटल इण्डिया आदि की बाते करते है ।पर ख़ाक प्रगति कर लिए की आजादी के 70 सालो के बाद भी भारत की आधी आबादी बिजली की मुंह तक नही देखा है ।आज भी 70% किसान मॉनसून पर निर्भर है ।
हर साल बाढ़ आती है और हर साल सुखा पड़ता है अगर बाढ़ कि पानी को स्टोर कर लिया जाय तो सुखा से आसानी से निपट लिया जाएगा ।पर पता नही कब इन्हें सदबुद्दि आयेगी ।
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