हर दल अपना दांव खेलता
हर दल अपना दावं खेलता
हर दल अपना दाव खेलता
हर दल लगा जुगाड़ में
हर मसले पर सिर्फ सियासत
देश की गरिमा गई भाड़ में
छुपे हुए सबके मनसूबे
कुटिल चाल से भरे है मन
इधर किसी के गले है मिलते
उधर किसी को आश्वासन
बन्दर बाट जो हो सत्ता की
हर दिल से एक है
किसी विषय पर गीला नही तब
सबके मकसद एक है ।।
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