एक बार भारत माँ तू माँ दुर्गा बनके आओ
एक बार भारत माँ तू दुर्गा बनके आओ
है कराहता कण - कण
माँ सारे दुःख कष्ट मिटाओ ,
एक बार भारत माँ तू
माँ दुर्गा बनके आओ ।
झूट सत्य को निगल रहा
है गल्ली पुण्य की काया ,
दिशा - दिशा में क्रूर पाप ने
अपना जाल बिछाया ,
दो निष्ठा तप त्याग
प्रेम का अमृत कलश छलकाओ ,
एक बार भारत माँ तू
माँ दुर्गा बनके आओ ।
हुआ अस्त दिनकर विवेक का
महानाश गहराया ,
मिटी आज उर-उर से लो
शीतल करुण की छाया ,
भर हूंकूति सब मिटा धुंध
सुख शान्ति सब धरा पर लाओ ,
एक बात भारत माँ तू
माँ दुर्गा बनके आओ ।।
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