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अनेकानेक बलिदानियों की कर्मठता

अनेकानेक बलिदानियों की कर्मठता एवं त्याग के फलस्वरूप  जो हमे आजादी मिली वो दुर्भाग्य से गलत हाथो में हस्तांतरण हो गई ।

     
      अनेकानेक बलिदानियों की कर्मठता एवं त्याग के फलस्वरूप जो स्वाधीनता हमे प्राप्त हुई वह हमारे दुर्भाग्य से सत्ता हस्तांतरण के समय हमारे स्वदेशी शासन का सूत्र संचालन जिन व्यक्तियो ने येन -केन प्रकारेण अपने हाथो में लिया वे भारतीय संस्कृति , भाषा , साहित्य , धर्म , दर्शन , परम्परा , इतिहास और जीवन मूल्यों के प्रति हिन् भावना की मनोग्रन्थि से ग्रस्त थे । उन्होंने एक ऐसे समाज की निर्माण की नीव डाली जो भारतीयता से शून्य थी । उन्होंने भारतीय राष्ट्र के आत्मा के विरोधी राजनीति को स्थापित किया । भारतीय भाषा , सभ्यता , संस्कृति को निरन्तर निर्बल , निस्तेज और निरर्थक बनाकर भारत को अभारतीय करण बनाने का पथ प्रशस्त किया ।
   
           यह सोचनिय विषय है की जीस राष्ट्र को प्रकृति ने स्वर्ग बनने के सारे संसाधन (मिटटी ,पर्वत , वन , नदियां , ऋतुचक्र , औषधियां , खनिज भण्डार , गोधन , विपुलझान , प्रतिभा ,श्रम शक्ति , मेघाशक्ति , प्रविधि विशेषज्ञता , आकाश जैसे उदार चिंतन , नाना रत्न ) आदि प्रदान कर रखे हो उस देश के लोग जीवन यापन की न्यूनतम सुबिधा से भी वंचित हो जाय ?

           आज का यथार्थ यह है की स्वतंत्रता के 68 वर्षो के पश्चात भी 62% देशवासी दरिद्रता रेखा से निचे नरकीय जीवन जिने को विवश है । देश की 70% ग्रामवासी सड़क , बिजली , पानी , स्वास्थ और शौच जैसी सामान्य सुविधा से वंचित है ।6 लाख गावों में से 3 लाख गावों के नर नारी कुपोषण जनित रोगों से ग्रस्त होकर जीवन और मृत्यू के विच संघर्ष कर रहे है ।देश की आधी से अधिक जनसंख्या अशिक्षित है । उधर सांसदों ,विधायको , मंत्रियो और नौकरशाहों के सुख - विलास और औकात पर अकूत धन राशि पानी की तरह बहाई जा रही है ।जिन धन राशि से देश के दस करोड़ बेरोजगारो को आजीविका दी जा सकती है ।पचीस करोड़ लोगो को भोजन वस्त्र सुलभ कराया जा सकता है ।और उतनी ही धन राशि धन राशि संसद के निरर्थक अनुपयोगी सत्र को समर्पित कर दिया जाता है । जो निश्चय ही राष्ट्र की घोर उपेक्षा धन की अपराधिक अपव्यय है । यह सत्ता लोलुप विलासकामी नेतृत्व हमारे स्वर्ग सहोदर राष्ट्र को तहस - नहस कर रहें है ।

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