जन - कल्याण में निमित योजना
जन कल्याण में निमित योजना
जन - कल्याण में निमित योजना शासन से स्वीकृत अनुदान ,
ऊपर से निचे आते ही हो जाता अंशदान ।
रिश्वत खोरी आज चरम पर ,
मूक बना शासन अनजान ।
हर विभाग में लापरवाही है ,
परेशान है मजदूर किसान ।
देश का शोषण कर घर भरते ,
शून्य हुआ शासन संज्ञान ,
लूट हो रहा है जहां है जो भी ,
करता बस अपना उत्थान ।
दीन - दीन होता ही जाता ,
पैसा वाला और धनवान ।
किसको फुर्सत है जो सोचो ,
किधर जा रहा हिंदुस्तान ।
महंगाई है आज चरम पर ,
छूती कीमत है आसमान ।
दिन प्रतिदिन बढ़ती बेकारी ,
क्या होगा इसका निदान ।
बिलख - बिलख कर रोते बचपन ,
चिथड़ो में लिपटा इंसान ,
फूठपाथों और गलियों -गलियों में ,
मांग रहे भिक्षादान ।
शिक्षा दवा हुई दुर्लभ है रोटी कपड़ा और मकान ,
रात बिताते है सड़को पर नित्य गवातें अपनी जान ।
बहू बेटी की इज्जत पर हाथ डालते है हैवान ,
बलात्कार महिलाओं से है छेड़ -छेड़ करते अपमान ।
राजनीति व्यवसाय बन गयी जन सेवा गणं दन्त समान ,
अवसरवाद का मकड़ जाल है निगल रहा है सबका ईमान ।
सत्ता शीर्ष पर बैठा है लेकर जनता से मतदान ,
नख शिख तक भष्ट्र हो गए करनी कथनी असमान ।
बड़ी बड़ी बाते करते होती है ऊँची उड़ान ,
जाती धर्म मन्दिर मस्जिद में धधकते है देश जहान ।
राष्ट्र धर्म को ताक पर रख के फूंक रहे है जन -जन के कान ,
इसलिये शायद कहते है मेरा भारत महान , शायद मेरा भारत महान ।
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