सत्ता पर बैठे ब्रह्नल्ला तो स्वभिमान कैसे जागे
सत्ता पर बैठा ब्रह्नला तो ,
स्वभिमान कैसे जागे ।
सत्ता पर बैठे ब्रह्नला तो ,
स्वभिमान कैसे जागे ,
अपने स्व पर विश्वास नही ,
तब दुःख दरिद्र कैसे भागे ,
रक्षक ही भक्षक बन बैठे ,
तो सोचो देश बची कैसे ?
जब बोये पेड़ बबूल के ,
तो आमो के फल लगे कैसे ,
रोको इन शूल बबूलों के ,
मधुमास फिर बिकने पाय ,
भारत माँ का अपमान न हो ,
उधान फिर न लूटाने पाये ,
मन के सम्प्रभुता मिटा सके ,
अब गांडीव उठाना ही होगा ,
अंदर - बाहर के दुश्मन के ,
अब वंश मिटाना ही होगा ।।
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