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मेरी प्रियेसी

                          मेरी प्रियेसी





तुम्हारी कल्पना से परे सौंदर्य साम्राज्ञी है वह , बिन काजल के मृगनयनी के समान काले नयन ,घनेरी पलके झुके तो दिल को चयन नही , उठे तो कयामत आजाए , कमान सी भौवें और तेवर ऐसे वल्लाह ! रूपगर्विता की नाक की धार के सामने चमचमाती तलवार व्यर्थ ,और अधर ऐसे -हाय " शहद भरे अधर सन्तरे की फांक , जरा जुंबिश हो तो लगे रस टपक गया , सुराही दार गर्दन , लंबी घनेरी जुल्फे , खुल जाय तो घटा छा जाय .....


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