जीवन एक समर भूमि है
यह दुनिया एक समर भूमि है
यह दुनिया आदमी के मन की दया पर नही बल्कि उसकी कलाई की ताकत पर चला करती है ।आदमी की दुनिया में चल रही सारी दौड़ धूप केवल भोग के लिये होती है ।त्याग की बात मन्दिर , पुराण और कीर्तन में ही ठीक लगती है लिकिन जीवन कोई मन्दिर नही वह एक समर भूमि है ।
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